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धूल में लिपटा हीरा
Moral Story धूल में लिपटा हीरा:- रामपुर के सेठ रामलाल, बहुत ही समझदार दानी व नेकदिल इन्सान थे। इस कारण गाँव के सभी लोग उनको चाहते थे। एक दिन, उनके एक दरबान ने आकर, उनको यह खबर दी कि, कुछ दिन पहले, गांव में एक पहुंचे हुए महात्मा पधारे हैं। यह सुन सेठ के मन में उनसे मिलने की इच्छा जागृत हुई। (Moral Stories | Stories)
अपनी इच्छापूर्ति के लिए सेठ नें महात्मा के लिए एक हीरे से जड़ी अंगूठी और कुछ भेंट लेकर महात्मा से मिलने गए। वहाँ जाकर सेठ ने देखा कि महात्मा बहुत ही प्रेम भाव व शांति से एक ऐसे व्यक्ति के सवालों का जवाब दे रहे हैं जो साधारण सा सवाल पूछ रहा है।
उस व्यक्ति के जाने के बाद, सेठ ने महात्मा के समीप जाकर, उनको प्रणाम किया फिर भेंट देकर, विनम्र ता पूर्वक बोला...
उस व्यक्ति के जाने के बाद, सेठ ने महात्मा के समीप जाकर, उनको प्रणाम किया फिर भेंट देकर, विनम्र ता पूर्वक बोला- “महात्मा, अभी-अभी जो व्यक्ति गया है जो कि आपसे साधारण सा सवाल पूछ है रहा था। मुझे तो वह व्यक्ति मूर्ख प्रतीत होता है और आप उस पर व्यर्थ समय नष्ट कर रहे थे। क्या यह अनुचित नहीं है?” (Moral Stories | Stories)
महात्मा, सेठ के प्रश्न को सुनकर, एक क्षण कुछ सोचकर इधर-उधर दृष्टि दौड़ाए। फिर पास ही राखी सेठ द्वारा लाई गयी होरे की अंगूठी को, सेठ को दिखाते हुए बोले- ''वत्स, ये अंगूठी जो हीरे से जड़ी है काफी मूल्यवान प्रतीत होती है।”
“जी हां, महाराज यह अंगूठी बहुत ही कीमती है।” सेठ ने जवाब दिया।
महात्मा ने पुनः प्रश्न किया- ''क्या यह हीरा खान से इसी रूप में निकाले जाते हैं?" (Moral Stories | Stories)
“जी नहीं महाराज, खानों में तो धूल-मिट्टी में लिपटे, अनाकार, पाए जाते हैं। इसे तो अथक परिश्रम और बुद्धि द्वारा घिसकर, तपाकर, तराशकर, मनचाहा स्वरूप प्रदान किया जाता है।" सेठ ने जवाब दिया।
“तो पुत्र, वे व्यक्ति भी, जिन्हें तुम मूर्ख कह रहे हो, धूल-मिट्टी में सने हीरा ही हैं। जिसे मैं वास्तविक व चमकदार हीरा बनाने का कार्य कर रहा हूं।'' सेठ को, महात्मा ने समझाते हुए कहा।
“आपने ठीक कहा महाराज। मैं ही गलत सोच बैठा था। आपने मेरी ही गलत सोच को सही रास्ता दिखाया है। इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद महाराज” सेठ ने कहा।
सेठ तहे दिल से, नतमस्तक होकर महात्मा को शुक्रिया अदा किए जा रहा था और महात्मा मन्द-मन्द मुस्कुराए जा रहे थे। (Moral Stories | Stories)
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